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Hymn No. 1943 | Date: 19-Aug-2000
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दिल करता है करने को, तो क्या जाता है करने में।
दिल करता है करने को, तो क्या जाता है करने में।
एक बार जरूरत है ना डरने की, निकल जाता है खौफ मरने का।
परवाह किस – किस बात की करोगे, बेपरवाही में छिपा है राज जीवन का।
बाज जब तक न आओगे आदतों से, तो प्रभु का काज कैसे कर पाओगे।
दिल को बजाके साज बजाना होगा उसके आगे, तभी तो झुमा पाओगे।
जो आँख बंद करने पे न मिला, उसको बैठे डाले यू ही पा जाओगे।
पर करना पड़ता है हर पल मन मे मनन, बड़े ही जतन से।
बनती है बात बातो का अंत करके, मौन ही जाने पे।
निखर आता है अंतर का सौंदर्य, अपने ही आँखो में।
सब कुछ होता है वैसे ही, फिर भी मजा आता है जीने में।


- डॉ.संतोष सिंह