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Hymn No. 1942 | Date: 18-Aug-2000
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प्रभु की प्रीत से जला है दीप, जो जीवन पथ के तमस को करेगा दूर।
प्रभु की प्रीत से जला है दीप, जो जीवन पथ के तमस को करेगा दूर।
प्रभु के कृपा से छायी है भीनी – भीनी महक, जो दिलायेगी याद मन को प्रभु प्रेम की।
प्रभु के करूणा से अंकुरित हुआ नवजीवन, जो झूम झूमके गायेगा गीत बहारो के।
प्रभु की नजरो से बरसे मतवाले पन का जाम, जो मसरूफ रखेगा लेने में उसका नाम।
प्रभु के लबों को छुआ हुआ किया पान, जो रंग देगी हमारे रोम – रोम को दीवानगी के रंग में।
प्रभु के सुनाये हुये गीत गूंजेंगे दिल में, जो हर अच्छें – बुरे पलों में दिलायेगी याद उनकी।
प्रभु के चरणों को परवार के करुँगा पान, जो भी हो अंजाम परवाना बनके दिखाऊंगा।
प्रभु के सीने से चिपट जाऊँगा हूँगा जमाने में जहाँ – कहीं भी सुनता रहूगा धड़कन उसकी।
प्रभु के लरजते लबों को लूंगा चूम मैं, फिर तो दुनिया की कोई रस लुभा ना पायेगा।
प्रभु के मन का बिन कहे करुँगा काम, तो प्रभु भी मेरे पीछे दौड़े-दौड़े आयेंगे।


- डॉ.संतोष सिंह