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Hymn No. 1939 | Date: 17-Aug-2000
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मचल रहा है दिल कुछ कहने सुनने के वास्ते, इक् बार फिर से तुझमे खो जाने के वास्ते।
मचल रहा है दिल कुछ कहने सुनने के वास्ते, इक् बार फिर से तुझमे खो जाने के वास्ते।
जिंदगी जिया बहुत बार अबकी बार डुबकी लगाना चाहूँ तुझमे, हश्र जो भी हों परवाह नहीं।
सर पे कफन बंधा रहता है हर बार, इस बार करुँगा कंफन को जमींदोज छूने ना दूँगा मौत को।
सौत है मेरी मेरा मैं, इस दिल को कर दूँगा ओत – प्रोत तेरे प्यार से हो चाहे जो भी हाल।
बाल बाका होने न दूँगा अपना, इक् इक् करके सारे प्यार के संपनों को सच कर दिखाऊँगा।
साँच को आँच क्या लगे, लगी हो आग चाहे जितनी जमाने में, साबूत निकलके आयेंगे पास तेरे।
मत पूछों हाल मेरा, दिवानगी सर चढकें बोल रही है मस्ती दिल रह रहके उमड़ घूमड़ रहे है।
कब किधर जाऊँगा इसका अंदाज मुझे भी न है हालत हो गयी है बावरो से भी बद्तर मेरी।
दायरा मेरा बढ गया, खुद की छोड़ खुदा से पूंछता हूँ बता क्या हाल है तेरा।
गम न रहा किसी बात का, हर पल प्यार में दम निकलते देखा जो अपना।


- डॉ.संतोष सिंह