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Hymn No. 1938 | Date: 16-Aug-2000
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दिल वालों की बात दिलवाले जाने, कोई इसे समझे मगरूरियत तो न है दोष हमारा।
दिल वालों की बात दिलवाले जाने, कोई इसे समझे मगरूरियत तो न है दोष हमारा।
हम तो मसरूफ रहते है तेरी दीवानगी में, किसी के लगे नागवार तो कसूर न है कोई हमारा।
हम तो प्यार की बात और प्यार करना चाहता है दिन रात, किसीको लगाई बढाई तो भी ना करनी लड़ाई।
जोर चलता नहीं मुझपे मेरा चलता है तेरा, गौंर कर न पाऊँ किसीपे तो भी खत्म ना करना प्यार के दौर को
मुझे लोगों क्या करना, भोगों के लिये ना है जीना, धड़कता है सीना तेरे लिये तो भड़कने वालों से क्या डरना।
मौत तो होती है इक् बार मरना है मुझको तेरे आगोश में मारें कोई भी तो क्या फरक है पड़ता।
मुझको, तो है तेरा नाम रटना चाहे पड़े कितना भी खटना, कोई पास फटकने न दे या झटकता रहे कोई बात नही।
हूंगा मैं बड़ा टेढ़ा, तेरे लिये ऐज, अड़ा हूँ तेरे वास्ते, खड़ा हूँ तेरे वास्ते, तुझे पाने के लिये कर जाऊँगा कुछ भी।
पुचकारेगा तो भी है ठीक, दुत्कारेगा तो भी है कबूल, फिदा हूँ तू कुछ भी कर है मुझको कबूल।
किसी बात का न है मलाल दिल को निकल जाये खाल कितना भी, हर जाल को तोड़के तेरे पास आयेंगे हम।


- डॉ.संतोष सिंह