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Hymn No. 1937 | Date: 16-Aug-2000
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कैसे बताऊँ दिल की हर बात तुझे, जब होता नहीं होश हमको अपना।
कैसे बताऊँ दिल की हर बात तुझे, जब होता नहीं होश हमको अपना।
सपनों में तो सोया रहता हूँ, तेरे सामने रहते खो जाता हूँ ख्वाबों में।
माना आसान् न है राहें प्यार की, हर कदम पे हो तेरा साथ तो क्या कहना।
सह जाऊँगा जमाने भर की मुश्किलात, अगर रहे तू मेरे साथ हर पल।
प्यार कमी खूबी न देखके है की जाति, ये तो न जाने कब किससे कहाँ हो जाये।
जो बात बनती ना कहीं, वो बात बन जाती है और कही जाती है प्यार में।
मिजाज इसका कोई ना जाना आज तक, जो बनते है वो बिगड़ जाते है प्यार में।
इसका कायल कौन ना है संसार में, इक बार को कर जाये घायल अच्छे अच्छे को संसार में।
चलता नहीं इसके आगे, चलाये सारे संसार को तो ये प्यार के जोर से।
खैर ना होता, करने वालों को करता है ढेर प्यार के ही इक् वार से।


- डॉ.संतोष सिंह