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Hymn No. 1936 | Date: 16-Aug-2000
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तेरे प्यार में हो गये हम मतवालें, कब कर बैंठे क्या न जाने हम।
तेरे प्यार में हो गये हम मतवालें, कब कर बैंठे क्या न जाने हम।
तोहमत अगर लगाता है कोई, उसमें ना दोष है उसका, वो क्या जाने हाल मस्ती का।
सूझता है जब ना कुछ हमको तो कैसे बताये दूजों को, सुध ना है जब तन के धर्म का।
सफाई देता ना हूँ ये तो हाल है प्यार में हमारा, इक् बार कर लो प्यार हो जायेगे दूर सारे मलाल।
तलवार की धार पे चलना है आसान् राहे मोहब्बत पे मुश्किल, जिंदादिली का अंजाम है प्यार।
जो करने से हर कोई धबराये, प्यार में दिल वहीं जाये, परिणाम की परवाह न होती है मतवालों को।
मुर्दों को लाख जलाओ होता है गम वहा दूजों को, यहाँ तो दिन – रात जलते है प्यार में फिर भी सूझें
मत पूछो यारो कुछ खाली फुकट कर बैठोगे इश्क, अश्क आने पे भी पड़ता है हंसना प्यार के खातिर।
जिनका करते है सजंदा उनसे हम करते है प्यार, हमारा लगे हिमाकत औंरो को तो उसका इलजाम ना दो हमको।
हमारे भी वश की बात न थी ये तो नजरे इनायत है उनकी, इक् बार पड़ जाये नजर जो तो सिखा जाये ऐरा गैरा नत्थु खैरा मुझे भी।


- डॉ.संतोष सिंह