VIEW HYMN

Hymn No. 1934 | Date: 13-Aug-2000
Text Size
ऐ। यार मेरे – मत देख तू मेरे सुर और बोल को।
ऐ। यार मेरे – मत देख तू मेरे सुर और बोल को।
प्यार में तेरे पगके निकले है मेरे दिल के भीतर से।
न कोई ताल है ना ही लय में, पिरोया है तेरे यादों में रहके।
लाया हूँ एक – एक शब्दों को चुराके तेरे ख्यालों से।
माना ढंग न है कहने का, पर हक तो दिल की बात बताने का।
कोई सूरमा न हूँ पर लाखों – करोड़ो में से हूँ एक तेरा मैं।
शहजादा बनके न रहना चाहूँ, तू दास बनाके रख ले तू पास अपने।
करने का ना है कोई है सलीका, पर अपनाना है मुझको तेरा तरीका।
अनगढ को गढ़े हर कोई, इस गढे को गढना है तुझको।
पता नही प्यार मेरा सच्चा है या नहीं, पर कहता हूँ तुझसे ही।


- डॉ.संतोष सिंह