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Hymn No. 1928 | Date: 10-Aug-2000
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पूजते है हम भीड़ को ना ईश्वर तुझको।
पूजते है हम भीड़ को ना ईश्वर तुझको।
जाते है नामी संतो के पास ना संत के पास।
प्रार्थना करते है स्वार्थ की, न प्रेम भरी बातों की।
जाते है प्रसिध्द धाम को, ना मिलने प्रेम के राम को।
करते है त्याग की, अपनी बात बताने के वास्ते।
करते है उपवास लोगो की आँखों में आने के वास्ते।
सभी दकियानूसी मापदंड अपनाते है अपनी पहचान बनाने के वास्ते।
हालत है ऐसी हमारी प्रभु के नाम पे हाक लगाते है अपनी।
जो मिलता है सहजता – सरलता से उसे छोड़के दौड़ते है अगूढ़ता की और।
कण कण में रहने वाले को खोजते है मंदिर – मस्जीदो में।


- डॉ.संतोष सिंह