VIEW HYMN

Hymn No. 1927 | Date: 09-Aug-2000
Text Size
मेरी कथनी – करनी में ना होने दे फरक, करवा ले तू कहा तेरा।
मेरी कथनी – करनी में ना होने दे फरक, करवा ले तू कहा तेरा।
हो चाहे मेरा जो भी हाल, गलने ना देना मेरे मन की तू दाल।
ख्वाब बुनता हूँ हर पल बैठे – बैठे, करता नहीं कोई काज।
बजाने को आता नहीं कोई साज, फिर भी थोथे चने की तरह बजता हूँ दिन रात।
नाच न आये आंगन टेढ़ा, सारे किये घरे पे पानी फेरता अकेला।
जहाँ में हर कोई करता है प्यार अपने आप से, यहाँ तो इश्क होता हैँ खुद से।
मता पूछ क्या ना कमी है मुझसे, जमी पे मुझसा कोई दूसरा नहीं।
अब तो हो सकता है कुछ तब ही जब तेरे प्यार में निखरू तपके।
सबके किये धरे पे फेरा पानी, मेरे जिंदगी की कहानी में करना है फेर फार तुझे ही।
मरके भी ना चैंन पाऊँगा, जो तेरे अनुरूप जीवन जी के ना दिखाऊँगा।


- डॉ.संतोष सिंह