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Hymn No. 1929 | Date: 10-Aug-2000
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दम नहीं है हममें इतना, लड़ - झगड़ के आ जाऊँ पास तेरे।
दम नहीं है हममें इतना, लड़ - झगड़ के आ जाऊँ पास तेरे।
दुखों की परवाह ना करके सुनां जाऊँ प्रेम भरा गीत तुझको।
हर पल लगाये बैठा हूँ आस तुझसे, कर दे पिता कुछ तू मेरे वास्ते।
घिन आती है अपने आप पे, निस्वार्थी से करते है स्वार्थ की बात।
अभी तक ऊबा नहीं हूँ न जाने कितनी बार डूबा भोग लिसाओं में।
अपने दोषों को न पहचान के, दोष खोजा दूसरो में सदा।
खाये जा रही है मुझे मेरी बात, जिनकी हाँक लगाऊँ मैं तुझसे।
हम तो तड़पते थे अपनी बातों में, करम का धरम तो बाद में।
तुझसे कैंसे करूं शिकवा, तू ही तो है मेरा विश्वास भरा साथ।


- डॉ.संतोष सिंह