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Hymn No. 1924 | Date: 08-Aug-2000
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मेरे किये का ना है कोई मायने, ओ सयाने कर्तां बनके बन बैठा तू अकर्ता।
मेरे किये का ना है कोई मायने, ओ सयाने कर्तां बनके बन बैठा तू अकर्ता।
भोग रहे है संसार में सुख – दुख के सवंगों को, भोग बनाके हमकों भोगें तू।
रचा बसा रखा है सारे अखिलेश को तरह तरह के विधी – विधानों में, खुद है परे नियमों से।
हर बात के है तेरे अर्थ दो, फिर कहें चुन न पाते उनमे से कोई ठीक हम।
बैंठे ढाले कह देता है करने को तु कुछ भी, करते वक्त जान पे आती है बन हमारे।
जान का डर ना है हमको, हम तो मन बना चुके है तेरे प्यार में मिट जाने का।
मोल तो न है कुछ हमारी फिर भी चाह बैठा हूँ सबसे अनमोल को।
तोलना ना है तू हमारे प्यार को, यार न जान किस कृपा की वजह से हो गया तुझसे।
बेसुरी आवाज से बांधने निकला हूँ तुझे – जिसे बंधना न आया कभी रास।
काश क्यो न करके हो जाता मैं तेरा, तो कहना – सुनना चलता रहता सदा।


- डॉ.संतोष सिंह