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Hymn No. 1920 | Date: 06-Aug-2000
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पिटती है मेरी भद् पिटते रहने देना पूरी न करना तू मेरी कोई नाजायज जिद्।
पिटती है मेरी भद् पिटते रहने देना पूरी न करना तू मेरी कोई नाजायज जिद्।
प्रियतम् तेरे प्यार में रहता है जायज सब कुछ, तो कैसे उठा ये सवाल।
मलाल ना है कोई दिल में, खिलना चाहता हूँ कीचड़ में रहके कमल के समान।
तेरे प्यार समा जाये दिल में, झर्र - झर्र करके बहता रहे आँखो से नीर।
तेरे वास्ते होता जा रहा है खत्म धीर, चुके ना कोई पल बगैंर तेरे।
इलजाम देने वालें कबूल है हमको सब कुछ, पर तेरे सिवाय ना कारण है कुछ।
तेरे – मेरे बीच अभी भी क्यों बनी है दूरी, इसे खत्म करना हो गया है जरूरी।
तेरा कहना है ठीक सदा से, मेरे अंतर को कर दे तू टोक – टोक के ठीक।
नखलिस हीरो के साथ कैसे आ गया ये कोयले का टुकड़ा पास तेरे ।
प्रभु है तेरी मर्जी पे तहेदिल से कर कबूल या उठा के फेंक दे।


- डॉ.संतोष सिंह