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Hymn No. 1919 | Date: 05-Aug-2000
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प्रभु ये कैसा है मेरा हाल, सब कुछ होके कर नहीं पाता कुछ।
प्रभु ये कैसा है मेरा हाल, सब कुछ होके कर नहीं पाता कुछ।
शुमन मेरी धर्मपत्नी है, पर मन मेरा रहा नहीं सुमन कभी।
सिध्द मेरा बेटा है, पर सिध्द न कर पाया अपने आपको।
माँ मेरी है गिरजा, पर वासनाओं के दुरह पर्वतों को न लांघ पाया।
दादा मेरा सुधई था, पर खुद के सुध के आगे न ली सुध किसीकी।
दादी मेरी थी सुखा, पर खुद न पाया सुख और दे न पाया किसीको।
दीपक मेरा भाई है, पर अंतर में जला न पाया प्रेम और ज्ञान की बाती।
विजय है मेरा पिता, पर आज तक किसी को भी जीत न पाया।
पर गुरूवर मेरा है देवेंन्द्र, उसके रहते जीतूंगा हर इंद्रियों के इंद्र को।


- डॉ.संतोष सिंह