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Hymn No. 1914 | Date: 03-Aug-2000
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दीवानों की महफिल में बेगानों का न है कोई काम ।
दीवानों की महफिल में बेगानों का न है कोई काम ।
वहाँ पे चलता है हर पल प्यार का दौर, शोर करने वाले का न कोई काम।
आधा – अधूरा प्यार करने वालों का लेता ना कोई नाम, मतवालों का है राम।
होता है वहाँ सब कुछ खास रहके आम, लेता ना कोई आम का नाम।
दाम किसीका कितना हो, निकल जाता है उनके पास पहुचके दम।
ठोकर पे रखते है सारे जमाने को, फिर भी सबके भरम को है मानते।
अंदाज बयाँ करना है मुश्किल, मस्ती में रहते है आवारगी भरे अंदाज में।
जिसका प्यार चढे परवाना, उनको मिलता है मौका महफिल शिरकत करने का।
वहाँ जाके सारे भरम है टूटते है, धीरे – धीरे दिल पे सरूर जो चढता है।
सब कुछ बार जान पे मिलता नहीं साथ, ये तो है उनकी कृपा का फल।


- डॉ.संतोष सिंह