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Hymn No. 1913 | Date: 03-Aug-2000
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राम के नाम का जाम तू पिये जा, हो जायेगा तू बेनाम।
राम के नाम का जाम तू पिये जा, हो जायेगा तू बेनाम।
नाम बनके तू बहुत जी लिया, बेनाम बनके आयेगा तू काम प्रभु के।
आज नहीं तो कल मिटना तय है नाम का, चाहे कर ले कितना भी काज।
आँच आ नहीं सकती बेनामी को वो तो मिटके भी अमिट है।
सिमट नहीं पाता नाम प्रभु राम में, चूकि रहती है ऊसमे पहचान।
बेनाम तो लेता है नित्य नये- नये स्वरुपों में आकार, करते है जिसका सब बरवान।
न जाने कितने अरमान भर जाते है फिर भी ना होता है उसका अनजान।
हाँ देना पड़ता है दाम फार का, बेनाम होने के वास्ते।
कोई अलग से न आके हममे से सभी को गुजरना पड़ता है इस राह से।
फांसता नहीं है वो किसीको, मजबूर कर देता है दिल फंसने के वास्ते।


- डॉ.संतोष सिंह