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Hymn No. 1908 | Date: 02-Aug-2000
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तेरी बहुत है कृपा, इक् और कृपा कर दे तू हमपे।
तेरी बहुत है कृपा, इक् और कृपा कर दे तू हमपे।
रिक्त मन का हर कोना लबरेज हो जाये प्यार से तेरे।
टपके आँखो से आँसू, मिलता है सुकूँ तड़पते हुये दिल को।
विरह में गाता हूँ गीत प्यार के, बहते हुये यादों के मौजो पे।
परवाह ना है डूबने की, निष्प्राण हो चुका था मिलते ही तुझसे।
थामा है दामन तेरा, बेदर्दी छुढ़ाना न कोई नया बहाना करके।
सम्भाले ना सम्भलता दिल अब, चाहे तुझे पास हर पल अपने।
सपने तो हूँ चुके तार – तार, जब से हुआ साकार तू हकीकत में।
तहकीकात कर ले तू मेरे दिल की, रहता है बेचैन हर पल वास्ते तेरे।
खामियों का वास्ता ना दे मुझे, इंसान् बनाया है तूने।


- डॉ.संतोष सिंह