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Hymn No. 1906 | Date: 31-Jul-2000
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बन चुका है तू मेरी जिंदगी, गौर करना तू हम बदनसीबों पे।
बन चुका है तू मेरी जिंदगी, गौर करना तू हम बदनसीबों पे।
दलीलो का अंबार ना खड़ा करता हूँ, बुनता हूँ चारों और तेरे प्यार का जाल।
न है कुछ ऐसा मेरे पास, जिसे देखके लूभालूं तेरे दिल को।
खाक छानी है दर – दर की, घर – बार होते हुये जीवन जिया खानाबदोशों जैसा।
आज भीतर जो भी है संस्कार, इस जन्म का नहीं वो तो पूर्वजन्मों का है प्यार तेरा।
डोरे डालता हूँ न जाने कब से, रब इक् बार चक्कर चल जाये तुझसे।
मना करने से बाज आने वालों में से नहीं, सारे खुराफत की जड़ है प्यार तेरा।
घेरे कोई कितना भी, होता है लहलुहान दिल मेरा पर ना छोड़नेवाला हूँ साथ तेरा।
हम तो खुश है इतने से कम से कम तनहाईयों में है तू, तो जहाँ के किसी में कोई दम नहीं।
जमा नहीं तो जम जायेगे, तू कितना भी अपने आपको बचा – बच नहीं पायेंगा प्यार से।


- डॉ.संतोष सिंह