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Hymn No. 1905 | Date: 30-Jul-2000
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होती है नाराज दुनिया तो होने दे, अपने आपको प्रभु में खोता है तो खोने दे।
होती है नाराज दुनिया तो होने दे, अपने आपको प्रभु में खोता है तो खोने दे।
आसानी से होता नहीं ये, न जाने कितने जनमों के संस्कारों का फल है यें।
माया के दल – दल में खिलना होता है नामुमकिन, ये तो उसके नजरें इनायत का है कमाल।
मचा ले तू कितनी भी धमाल पर जब तक आता न है वक्त होता नहीं कुछ।
सब कुछ का राज एक ही है जब हमराज हो वो दिल का हमारे।
रह नहीं जाती किसी और सहारे की जरूरत जब मिलता है सहारा उसका।
चलता नहीं जोर किसीका, उसके रहते, ना ही और की रहती कोई जरूरत।
लाख बदनाम रहे जमाने में पर नाम लेते रहूं उसका तो कोई कर न पाये बाल बांका।
दावे करो कितने भी पर जितना उसको प्यार और श्रध्दा के बिना है नामुमकिन।
इक् बार को क्या न करके मिल जाये वो तो रह ना जाता है कुछ और पाने की।


- डॉ.संतोष सिंह