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Hymn No. 1902 | Date: 29-Jul-2000
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होगे लाखो – करोड़ो तेरे पीछे, माना समुद्र में बूंद की कोई बिसात नहीं।
होगे लाखो – करोड़ो तेरे पीछे, माना समुद्र में बूंद की कोई बिसात नहीं।
ऐ परमात्मा ये भी सच है, हम आत्माओं के बिना तेरी कोई पहचान नहीं।
माना कि तू है सबसे ऊपर, तुझमें समायी है ताकत परम्।
पर ये भी तू जानता मिटते हो हम भी नहीं, बदलते है स्वरूप अनजाने में।
लेकें सारी शक्तियाँ तू करता है खिलवाड़ हमसे कर्मों के नाम पे।
जब – जब छोड़ा तूने अपने धाम को, माया में बिसरा तू भी पल भर को।
गलती होगी दाल तेरी सारे ब्रम्हाण्ड में, पर गले ना तेरे भक्त के आगे।
तू लाख इलजाम दे दे प्यार पे, पर मजबूर हो जाता है उनके सामने।
मेरे धाम का कोई मतलब नहीं, सच पूछो तो कुछ से ना है मतलब तुमको।


- डॉ.संतोष सिंह