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Hymn No. 1898 | Date: 27-Jul-2000
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रोम – रोम मेरा बिघा है प्रेम में तेरे।
रोम – रोम मेरा बिघा है प्रेम में तेरे।
नजरों में रहता है छाया सरूर प्यार का तेरे।
अस्पष्ट स्वरो में गाता हूँ गीत प्रेम का तेरे।
अपनो के बीच लगता है बेगानापन प्यार में तेरे।
मन में रहते है उमड़ते – घूमड़ते ख्याल प्यार भरे तेरे।
दिल की धड़कन – धड़कती है बनके मधुर संगीत प्रेम में तेरे।
दिवानो जैसी हों गयी है हालत मेरी प्यार में तेरे।


- डॉ.संतोष सिंह