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Hymn No. 1897 | Date: 27-Jul-2000
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दिल की हालत बद् से बद्तर होती जा रही है तेरे प्यार में।
दिल की हालत बद् से बद्तर होती जा रही है तेरे प्यार में।
सीने पे पत्थर रस कर सहता हूँ, पत्थर भी पिघल के बन जाते है प्यार।
माना यार कर रहा है यें कमाल तू, फिर भी मन क्यों करता है धमाल।
मैं तो होना चाहता हूँ मालामाल तेरे प्यार से, फिर कहाँ से आये ये बवाल।
खत्म कर दे तू मेरे सारे सवालो को, उठे न मन में कोई मलाल।
तेरे हाथों से हलाल होने में रही ना कोई हिचक अब दिल में अपने।
सपने भी आते नहीं तेरे बिना, तुझे चाहत बता नहीं सकता क्या बीते अपने पे।
वादा ना निभाया तो क्या से, यादों ने तो संवारने की कोशिश तो की।
रही – सही कर दे कमी पूरी, तेरे बिना की दूरी मिटाने को हूँ तुमसे कहता।


- डॉ.संतोष सिंह