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Hymn No. 1896 | Date: 27-Jul-2000
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राहे मोहब्बत पे खुदवाऊँगा नाम अपना, लगे चाहे कितना भी प्यार का दाम।
राहे मोहब्बत पे खुदवाऊँगा नाम अपना, लगे चाहे कितना भी प्यार का दाम।
मिटाना किसीके वश की बात ना होगी, रंग भरेगे प्यार का उसमे लहू से अपने।
प्रभु तुने भी ना होगा सोंचा, तेरा कहा करने वास्ते ताल ठोक के संरजाम देगे।
जश्न मनायेंगे बद् से बद्तर हालात पे, कमतर ना होंने दूँगा प्यार की आवाज को।
एक से एक होंगे नायाब लोग दुनिया भरके, हर इक् होगा तरीका अलग प्यार करने का।
तू दुत्कार देना सबके सामने हमको, तब भी ललकार के कहूंगा तू करता है प्यार हमसे।
बेदर्द बनके तू करना रूखसत तेरी महफिल से, चौंक जायेगा तू मुस्कूराता हुआ देखके हमको।
बसता होगा तू भक्तों के दिलों में, पर यहाँ बात है उलटी बसना पड़ता है नासमझो के बीच।


- डॉ.संतोष सिंह