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Hymn No. 1895 | Date: 27-Jul-2000
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मनचला आया है दर पे तेरे, लेकें खाली झोली प्यार भरने।
मनचला आया है दर पे तेरे, लेकें खाली झोली प्यार भरने।
मिट चुकी है सारी चाहत, राहत मिलता है मन को तेरे पास आके।
तू कह ले कितना भी कुछ, जो होता है हाल दिल का करता हूँ बयाँ।
हाँ ये सच है हो गयी नियत खराब तुझसे मिलने के बाद।
बरबाद कोई क्या करेंगा, तेरे बगैर बर्बादियों सी हालत है मेरी।
कितना भी कुछ पा लूं, जब तक ना मिलेगा तू आबाद हो ना सकता।
आसक्त हों गया हूँ तुझपे, इसमें कोई दो राय नहीं।
भाता ना है मन को कुछ, लगता नहीं दिल किसी में।
चेहरे पे चेहरा चस्पा है कोई और, हालत है मेरी बाँवरों जैसी।
फिर भी हूँ बिंदास, पायेंगे तुझे प्यार का अरदास करके।


- डॉ.संतोष सिंह