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Hymn No. 1887 | Date: 24-Jul-2000
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उमड़ - घुमड रहे है दिल में अनेकों तरह के भाव लेके तेरे प्यार को।
उमड़ - घुमड रहे है दिल में अनेकों तरह के भाव लेके तेरे प्यार को।
कभी रहता है मस्ती के मूड़ में, निहारे एकाटक होके शांत चित्त से।
करना चाहे खिलवाड़ प्यार के रंग में रंगके कर जाये जो दंग तुझे।
हर लीक से जुदा, होना चाहता है वो फिदा मनाते हुये मौज में।
खत्म हो जाये तुझ तक सारी हसरत, करनी ना पड़े आने के वास्ते कोई कसरत।
अनायास ही रहूँ निमग्न प्यार में तेरे, दुनिया भरके गुल खिलाते हुये।
मुझे ना रहा कोई अफसोस, जो मेरे सारे दोष घुल गये प्यार में तेरे।
बहना नहीं अब किसी बहाने में, पहुँच चुका जो प्यार के मुहाने पे।
मगरूरिरयत समझो या कुछ भी, हमें ना है कुछ प्यार के दौर में।
सारे ख्वाब – ख्याल मिट गये, साकार होने लगें जब तेरे स्वरूप में।


- डॉ.संतोष सिंह