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Hymn No. 1757 | Date: 17-May-2000
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कंपकंपाते लबों से गाते है गीत तेरा।
कंपकंपाते लबों से गाते है गीत तेरा।
धड़कते दिलों में छिपा है प्यार का संगीत ।
भरा मन अव्यक्त भावों से लेके तुझे।
नजरों से कैद है यादों से भरी तसवीर तेरी।
विश्वास ना हो तो देख, भीगा है रोम – रोम मेरा प्यार में तेरे।
अनगिनत चाहे जन्मती है, हर पल लेके तुझे।
श्वासों की डोर बंधी है तेरी प्रीत की डोर से।
चोर हूँ जरूर, पर प्रियतम् तेरे प्यार के वास्ते।
करता हूँ सीनाजोरी तेरी नजरों में आने के वास्ते।
सलामत रहने का न रह गया मन, सलामती ढा रहा है जो तू।


- डॉ.संतोष सिंह