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Hymn No. 1758 | Date: 17-May-2000
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कहना चाहता हूँ अपनी हर बात तुझसे, कब देगा तू मुझे।
कहना चाहता हूँ अपनी हर बात तुझसे, कब देगा तू मुझे।
दबाये प्यार की आग सीने में, घूम रहा हूँ मन की तपिश मिटाने के वास्ते।
संसार में रहके ना रह गया नाता किसी से, तेरा हो जाने के वास्ते।
आती रहती है तेरी यादें, जो सता – सताके कहती है और प्यार करने के वास्ते।
कसूर क्या है मेरा जो मिला ना अब तक तसव्वुर तेरे प्यार में।
रब साँस की हर डोर से बंधा नाम तेरा, कब होगी मुलाकात।
आहत कई बार हुआ मन, राहत दिया ख्वाबों ने तेरे।
जवाब दे या ना दे तू, पर तेरा वास रहने देना दिल में मेरे सदा।
फिदा होते जायेंगे, तब और आयेगा मजा जब होंगे कुर्बान दिल से तुझपे।
डर – डरके ना करता हूँ प्यार, यार तेरा प्यार बना चुका है बेधड़क मुझे।


- डॉ.संतोष सिंह