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Hymn No. 1756 | Date: 16-May-2000
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दिल झूम रहा है तेरे प्यार का अहसास कर – करके।
दिल झूम रहा है तेरे प्यार का अहसास कर – करके।
हर डर निकलता जा रहा है मन का तेरा गीत गाते ही।
बेधड़क हो चुका हूँ डूबके तेरे प्यार भरे ख्यालों में।
जीवन का हर प्रश्न सुलझ जाता है तेरे गीतों को गूजते ही।
अनिश्चितत्ताओं की जल चुकी है चित्ता चित्त के भीतर ही।
नियत हो चुका मेरा सब कुछ प्रियतम तेरा हाथ पकड़ते ही।
अंजाम को सरंजाम देने वास्ते निकल चुका हूँ राहे प्यार में।
तेरी शायरी ने कर दिया अंत मेरी कायरता का।
चंचल – चितवन सुध – बूध खो चुका है निहारते हुये तुझे।
उमंगो में हर पल तैरता रहता हूँ तेरा दामन पकड़के।


- डॉ.संतोष सिंह