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Hymn No. 1753 | Date: 15-May-2000
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गुनगुनाउँ गीत तेरे प्यार का तेरी धून में।
गुनगुनाउँ गीत तेरे प्यार का तेरी धून में।
बुन जाते है अपने आप ख्वाब तेरे प्यार के।
निकल जाता है मन से हर डर तेरे इनकार का।
झूम उठता है रोम – रोम मेरा तेरे इंतजार में।
अनयास हो जाता है, चाहा हुआ दिल का मेरे।
चीर उठता है मन, अजिबो – गरीब भावों से।
मचल उठता है दिल, कह डालने को सब कुछ।
आफत हो जात है, कहने पे कुछ तुझसे।
दिल में उठी हर बात, आते तेरे आ जाती, है जुबाँ पर।
सच पूछो तो रख देना चाहता हूँ दिन को चीरके तेरे आगे।


- डॉ.संतोष सिंह