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Hymn No. 1752 | Date: 14-May-2000
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गीत निकलते रहते है तुझे याद कर – करके प्रतिपल।
गीत निकलते रहते है तुझे याद कर – करके प्रतिपल।
दिल खिल उठता है तेरे प्यार भरे ख्यालों में डूबते ही।
मेरा मैं मुझमें से निकलनके चल पड़ता है तेरी ओर मिलने के वास्ते।
जोर कितना भी कोई करें, रहता हूँ डूबा तेरे प्यार के शोर में।
नाच उठता है मन मयूर के भाँति तेरा साथ पाते ही।
आपा खो बैंठता हूँ अपने आप पे से, सुनते है तेरा तान।
वश में हो जाता हूँ तेरे, विवश कर देती है तेरी नजर।
गजर करें कितना भी इशारा, सुध – बुध खो देता हूँ रहने पे पास तेरे।
और भी उलझ जाता हूँ प्यार में, जब मिट जाता है भेद मरने – जीने का।
करता रहूँ चाहे कुछ भी, मन बुनता है तेरे प्यार का ताना – बाना।


- डॉ.संतोष सिंह