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Hymn No. 1751 | Date: 14-May-2000
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मत पूछो हाल कैसा है मेरा, जलता है दिल निरंतर प्यार में तेरे।
मत पूछो हाल कैसा है मेरा, जलता है दिल निरंतर प्यार में तेरे।
सुकून मिलता नहीं पल भर को, होता है हाल हर पल बद से बद्तर।
निरंतर रहता हूँ एक ही ख्याल में डूबा, क्या कर दूँ मिल जाये तू मुझे।
मत लगाना तू कोई और कयास, करता हूँ सारे प्रयास तेरे वास्ते।
जुड़ी है मेरी सारी खुशियाँ तुझसे, छूं ना सकता कोई और दुःख मुझे।
खुश होता हूँ तुझसे मिलने पे, नहीं तो याद कर – करके तेरे प्यार को।
अड़ा हूँ तुझे पाने के लिये, पड़ जाऊँ जीवन में कितना भी अकेला।
मेरे भाग्य में जो भी बदा है, कोई शिकवा ना, शिकवा तो तब है जब तू ना मिले।
खिल उठता है मेरा अंतरमन कमल के समान, पहुँचता जब पास तेरे कैसे भी करके।
डर ना रह गया जीवन में, डर लगा है तो अब तुझे पाक खोने से।


- डॉ.संतोष सिंह