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Hymn No. 1750 | Date: 13-May-2000
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जिंदगी का दौर जारी है, हर रोज पड़ रहा है पाला इक् नये पहलू से।
जिंदगी का दौर जारी है, हर रोज पड़ रहा है पाला इक् नये पहलू से।
कुछ भी ना है निश्चित, हर रोज पड़ रहा है पाला इक् नयें अनिश्चित से।
इन सबके बीच मिला है सबसे निराला, जिससे ना पड़ा था कभी पाला।
रूबरूं करा रहा है जीवन को जीने का, इक अलग नये – नये अंदाज में।
जो सोचा हुआ न था, उसको साकार कर दिखाने के लिये आया है परम्।
हर धरमों का भेद समझाये, वो प्यार भरे नये – नये गीतों में गाके।
सदियों से सोये हुये हमको हौले से जगाता है प्रीत भरी थपकी देके।
झिड़कता है कभी जोर से इतने कर देता है नग्न हमको – हमारी निगाह में।
आगाह करता है जीवन के ऊँच – नीच से, रखने को कहता है पग धीरे – धीरे।
जो कुछ पूछो वों बताता है, उसका बताया हुआ संसार में सही पाता हूँ मैं।


- डॉ.संतोष सिंह