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Hymn No. 1739 | Date: 10-May-2000
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कब तक चलेंगा सिलसिला सताने का, रातो को आके ख्वाबों में जगाने का।
कब तक चलेंगा सिलसिला सताने का, रातो को आके ख्वाबों में जगाने का।
अब तू हो जा रजामंद, स्वीकार कर ले हमारे दिल के भावों को।
साये की तरह रहता है यादों में प्यार की अमूमन तस्वीर संजोये तेरी।
रच – बस गया है तू जहन में हमारे, लगाते है कहकहा हाल पे अपने।
गुजारे ना गुजरता जीवन का कोई पल, जो निकाल सकूँ तुझे दिल से अपने।
करना पड़ेगा विश्वास हमारा, दिल में तेरे उपजती होगी प्यार की कशिश।
ठंडी ना होने देना प्यार की आग को, देंगे खुराक उसे अपने दिल का।
होना पड़ेगा साकार तुझे प्यार के खातिर, हमारे प्यार को स्वीकार करने वास्ते।
अब ना सुनूँगा कहा हुआ तेरा, जी भरके करुँगा हैरान प्यार में तुझे।
तेरी बदौलत पाया है सब कुछ, तुझपे लुटा दुँगा जो कुछ पाया संसार में।


- डॉ.संतोष सिंह