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Hymn No. 1738 | Date: 10-May-2000
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शुरू किया है रेंगना इशारे पे तेरे, मंजिल दूर है तो क्या से।
शुरू किया है रेंगना इशारे पे तेरे, मंजिल दूर है तो क्या से।
ना चल सका कोई बात नहीं, सतत् जारी रहे रेंगना मेरा ओर तेरे।
मन में ना चाहत है कोई विराम की, आहत होता नहीं दिल किसी बात पे।
चाहत है इक् आस भरी, मन भरा हो विश्वास से तेरे साथ का।
कोई फरियाद ना है अब करनी, करुँगा जेहाद आनेवाली अड़चनों से।
डरना ना है किसी बात पे, मरना पड़े चाहे राहें प्यार में।
खफा का कोई सवाल कैसा, जब हर कोई लगे दिल को अपना।
सपना है तो क्या से, सपनो में तो है बस अब तू।
रब दबाये दब नहीं सकता, जो निकलता है भाव दिल से तेरे वास्ते।
आस्ते – आस्ते अब काट दूँगा राह का हर दौर रहके यादों में तेरे।


- डॉ.संतोष सिंह