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Hymn No. 1675 | Date: 20-Apr-2000
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अपने पास कुछ भी नहीं गम के सिवाय, उपजा हूँ तम के भीतर से।
अपने पास कुछ भी नहीं गम के सिवाय, उपजा हूँ तम के भीतर से।
अब तू ही बता आयेगा कैसे रास, मुझको पवित्र प्यार तेरा।
करना होगा आमूलचूल फेर – फार, मेरे भीतर खातिर तेरे वास्ते।
तब जाके चढ़ेगा रंग प्यार का, बदलेगा सार जीवन का।
दोष कहीं ना है तेरा, ये तो मेहरबानी है मेरे प्रारब्ध की।
किये हुये का गम नहीं, पर रहता हूँ बेकरार तेरे सामीप्य के वास्ते।
कैसे भी करके लाना है मुझे रास्ते पे प्रियतम तेरे वास्ते।
बिगड़ेगा ना कुछ तेरा, रह जायेगा मसोस के दिल मेरा।
अंजान नहीं हूँ मैं कमियों से अपने, हो जाता हूँ बेजान उसके आगे।
पर तैयार हूँ देने को हर शहादत तेरे वास्ते।


- डॉ.संतोष सिंह