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Hymn No. 1674 | Date: 20-Apr-2000
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कुछ ना पूछ तू हमसे, देखके जान ले हालत मेरी।
कुछ ना पूछ तू हमसे, देखके जान ले हालत मेरी।
ढूँढता हूँ शब्द सुनाने को, हाल दिल का।
हो जाता हूँ मायूस, जब शब्द बनके रह जाते है शब्द।
तोड़ देना चाहता हूँ सीमा कहने और सुनाने की।
नजरों ही नजरों में बयाँ करना चाहता हूँ प्यार का नगमा।
हो जाये मौत मेरी, ढलके प्रेम भरे गीतों में।
जीतने – हारने से परे, हो जाऊँ गुम दिल में तेरे।
दर्द ही दर्द हो जीवन में, तड़पना चाहता हूँ वास्ते तेरे।
मजा बहुत आता है, जब कहना होता है बड़ी मुश्किल से।
रहता है सब कुछ, यूँ ही रहता हूँ आनंद में।


- डॉ.संतोष सिंह