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Hymn No. 1673 | Date: 20-Apr-2000
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है अजीब मेरा प्यार, यार को देखके आता है बहुत प्यार।
है अजीब मेरा प्यार, यार को देखके आता है बहुत प्यार।
पल भर को जो हुआँ दूर उससे तो कर बैठता है अनाचार।
उसके बिना हर बात में है एतराज, कब सीखूँगा प्यार का कदाचार।
एतबार है मुझको अपने आप से ज्यादा प्यार पे उसके।
मुझ भटके हुये को लायेगा राह पे आज नहीं तो कल।
जो है हमारे भीतर कमियाँ, उसे दूर कर दीखायेंगा प्यार से अपने।
सपने ना दिखाता है, यथार्थ ही उपजाता है वो दिल में मेरे।
गम जो भी आयेगा जीवन में लूँगा सह मैं, पर तेरा रूठनां ना कभी।
मैं ना कहता हूँ बहुत सही, पर जैसा भी हूं पिता हूं मैं तेरा।
होऊँगा मैं बहुत बड़ा झूठा, बनता हूँ सच्चा पर दुखाता हूँ दिल को कई बार तेरे।


- डॉ.संतोष सिंह