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Hymn No. 1672 | Date: 20-Apr-2000
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प्रभु अगर तू लायकियत देखके स्वीकारेगा मुझे।
प्रभु अगर तू लायकियत देखके स्वीकारेगा मुझे।
तो न जाने कितने गुजर जायेगे काबिल होने में।
फिर भी न – लायक बन पाऊँगा तेरे कभी।
विश्वास ना है मुझे अपने आप पे, कह ले चाहे जो तू।
मेरा विश्वास बन चूका है तू, तेरे सिवाय नहीं कोई।
हँस ले अतिश्योक्ति भरी बातें सुनके तू मेरी।
नाम दे देके तेरा किया है करम ऐसा, हंसता हूँ मैं खुद।
रब सब कुछ कबूल है, कबूल कर ले तू मुझे।
अगर – मगर से निकाल के करना सीखा दे तेरा कहा हुआ।
सह जाऊँगा जीवन में सब कुछ, रह न पाऊँगा बिन् तेरे।


- डॉ.संतोष सिंह