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Hymn No. 1671 | Date: 19-Apr-2000
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एकला चल तू एकला, ना रह किसीके ख्यालों में।
एकला चल तू एकला, ना रह किसीके ख्यालों में।
तू खोया रह प्रियतम् की मिठी यादों में होगी मुलाकात जरूर।
आज दूर है तो क्या, मन पहुँच सकता है करीब उसके।
गुजरने ना दे कोई भी क्षण, जब आये ना याद उसकी।
इक् दिन छोड़ना पडता है मजबूरन, छोड़ दे मर्जी पे उसके।
होता है जो होने दे खुशी में रहके जीना सीख जा।
मस्ती छायेगी अपने आप, बिन करे होगी मौज हर पल।
आनंद ना है कही और, ये तो विराजे चित्त में सदा।
जीतना है तो जीतो तुम उसको, बिन् किये पाओगे कब कुछ।
आलम होगा मस्ती का, मर्जी के अनुरूप रहेगा साथ – साथ तेरे।


- डॉ.संतोष सिंह