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Hymn No. 1670 | Date: 18-Apr-2000
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चाँद और सूरज है दीप के भाँति तेरे सामने ऐ परम पिता।
चाँद और सूरज है दीप के भाँति तेरे सामने ऐ परम पिता।
तुझसे बड़ी ताकत कोई ना, तू भी हारे दीवानो के प्रेम आगे।
जीतना चाहे कोई जीत न पाये, पर हो जाता है मस्त मतवालो पे।
रीझाने की कोशिश सभी करते है, रीझके चले आये भोले – भालों के पास।
दास है तेरी दुनिया, और तू स्वीकारता दासता अपने भक्तों की।
निश्चित ना है कुछ मुझे पाने के लिये, अनसुना ना करता प्रार्थना सच्चे दिलवाले की।
ख्वाबों में मिलता है तू, लेता आकार प्रेमियों के प्रेम में।
साकार होता है कृपा करने के वास्ते, बस जाता है दृड़ भक्तों में।
अजीब है तेरी दासता, एक ही माटी में खेले तू खेल अलग – अलग।
मिलता है संसार में सबका विकल्प, तेरा विकल्प है सिर्फ तू।


- डॉ.संतोष सिंह