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Hymn No. 1669 | Date: 17-Apr-2000
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कुछ नहीं, कुछ नहीं सूझे मन को सिवाय कुछ तेरे।
कुछ नहीं, कुछ नहीं सूझे मन को सिवाय कुछ तेरे।
चाहिये अमिट छाप प्यार भरे दिल पे।
परवाह ना है हमको, कहे कौन क्या - क्या।
बदनामियों के डर से परे, डूबा रहूँ प्यार में तेरे।
रंग – ढंग हो भी कैसा, मगन रहूँ हर पल तुझमें।
निकल जाये खोफ दिल का, रहूँ प्यार में सदा।
जुदाई का भय रहे ना मन में, मन मिट जाये तुझमें।
तेरे प्यार के सिवाय ना चाहूँ कोई सोच – विचार।
रास्ता हो कितना लंबा, रहे प्यार भरा साथ तेरा।
जमाने की न जानूँ मैं कुछ, रहे वास्ता प्यार से तेरे।


- डॉ.संतोष सिंह