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Hymn No. 1667 | Date: 16-Apr-2000
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जिसने न जाना कभी प्यार, जिसने देखा ना कभी प्यार।
जिसने न जाना कभी प्यार, जिसने देखा ना कभी प्यार।
जिसने किया न कभी प्यार, वो प्रभु को प्यार क्या करेगा।
बचपन माँ के होते पाया न कभी साथ, दो-चार हुआ पिता से कभी-कभी।
परिवार में रहके न जाना कभी परिवार, गुजारा जीवन यूँ ही।
अनजाने अपरम्पार प्यार पाया गुरूवर से, सहसा नहीं होता विश्वास।
कमीं ना हुयी थी कभी तेरी और से, दिल ही मलीन था मेरा।
मत ला इतना करीब, दाग दामन पे लगा बैठूँ तेरे।
चाहा तुझको कई बार क्या करके खुश कर दूँ पिता।
जन्म से दुर्गुणों का साथ, ऊपर से भीतर से गहरा अविश्वास।
वादा करके तोड़ा हर बार, तेरे दरबार में रहके रहा दूर तुझसे।
तूने तो बरसायी कृपा सदा, कोई कोर कसर ना छोड़ो प्यार करने से।
प्रारब्ध था इतना क्रूर, चाहके भी होते गये हम दूर तुझसे।


- डॉ.संतोष सिंह