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Hymn No. 1662 | Date: 13-Apr-2000
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जीतने निकला हूँ तुझको, ना तेरे संसार को।
जीतने निकला हूँ तुझको, ना तेरे संसार को।
दुश्मन ना है कोई मेरा, दूश्मन तो खुद ही हूँ मैं।
हथियार ना है मेरे पास कोई, दिल में प्यार है जरूर।
डिगाने वास्ते मन में है अनेक सुशूप्त इच्छायें।
सबको करतें हुये नमन करता हूँ प्यार से शमन्।
टकराना किसी से ना वश की बात है मेरे।
चुपचाप बिखेरते चल पड़ा हूँ ओर तेरे।
ऊपर से है शांत, मन में मचा रहता है घमासान।
परवाह ना करना तूने सिखाया, प्यार की राह में बहना तूने बताया।
निश्चिंत, निर्द्वंद मैं चला, बिन लड़े तेरी और बढ़ चला।


- डॉ.संतोष सिंह