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Hymn No. 1658 | Date: 11-Apr-2000
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पहुँच ना सके हम तो क्या, पहुचेगा दिल मेरा दर पे तेरा।
पहुँच ना सके हम तो क्या, पहुचेगा दिल मेरा दर पे तेरा।
सुरूर चढ़ा नहीं तेरे प्यार का, जरूर रह गयी होगा कहीं ना कहीं कमी।
तूने तो किया अपनी तरफ से, सब कुछ मेरे वास्ते।
फिर भी न माने मन तो रह गया कही ना कही दोष मुझमें।
होश में ना रहने की थी ठानी, जोश में कर गया चूक।
राह मेरी जुड़ी थी तुझसे, दरबदर की ठोकर खाने पे हो गया मजबूर।
कब हुई कैसे शुरूआत, इतनी कमजोरी से भरा दौर का।
गौर करने की जब ठानी तो हो गयी थी बहुत देर।
और चले कितना भी, जोर चलने ना दूँगा किसी और का दिल पे।
आज दूर हूँ तो क्या से, दूर होने ना दूँगा तुझे दिल से।


- डॉ.संतोष सिंह