VIEW HYMN

Hymn No. 11 | Date: 01-Jul-1996
Text Size
देते है दोष अपनी किस्मत का हर वक्त ;
देते है दोष अपनी किस्मत का हर वक्त ;
रोते है दुखड़ा अपने दुःखों का हर वक्त ।
तुझमें विश्वास करके ; करते है अविश्वास ;
बिन श्रध्दा और भाव के तुझे चाहते है पाना ।
बिना ज्ञान के तुलसी कबीर बनना चाहते है;
अपने कष्टों का दोष देते है तुझें सदा ।
सब कुछ अच्छा ही अच्छा पा लेना चाहते है
अपनी कमियों का दोष दूसरों को देना चाहते है ।
हाय रे ; फिर भी अच्छा कहलाना चाहते है ।


- डॉ.संतोष सिंह