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Hymn No. 12 | Date: 02-Jul-1996
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मान ले तू जान जायेगा, आया है छो परमधाम को ।
मान ले तू जान जायेगा, आया है छो परमधाम को ।
भटक रहा है अपनी ही छाया में,
अरे मूर्ख ये तो सिर्फ माया ही माया है ।
हो जा होशियार, ले ले सच्चा ज्ञान, रमता है जो कण – कण में ।
जान बगैर तू जान जायेगा ;
परम श्रध्दा से ज्ञान पायेगा ।
समय रहते तू चेत जा,
अपनी इच्छाओं से बाज आ ।
सारी की सारी इच्छाओं को सौंप दे,
माने या न माने तू उसे ।
फल की चिंता छो दे,
कर्म करके हो जा निष्कर्म ।
अपने ही आप तू लौट जायेगा, अपने परम धाम को ।


- डॉ.संतोष सिंह