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दिनांक: 02-Mar-2001
आस तो बाँध रखी है, टूटेगी श्वासों के टूटने पे |
बांध रखा है तुने प्रेम श्वास, तो बन न पाऊंगा दास कीसीका |


- डॉ.संतोष सिंह


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