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दिनांक: 17-Mar-2001
रहमत है 'खुदा' की, क्यूँ जहमत उठाते हो न करने की? |
मिलता है तो ले लो, न जाने कब चुकाने पड़ जाए कीमत न करने की |


- डॉ.संतोष सिंह


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