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दिनांक: 18-Sep-2001
ज़िंदगी में हर कदम पर मार खाता रहा |
कभी कर्मो के नाम पे, कभी कीस्मत के नाम पे |
हाँ मेहरबानी थी उसकी, मार खाके भी जिंदा रखा |


- डॉ.संतोष सिंह


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