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Hymn No. 52 | Date: 16-Nov-1996
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ऐसी कोई बात न थी, की हमने तुझको दिया भुला ।
ऐसी कोई बात न थी, की हमने तुझको दिया भुला ।
लोग कहते है तो कहने दो, तेरी मेरी प्रीत तो है पुरानी ।
गम ना कर उनकी बातों का, कानाफुसी करने को चाहिये कुछ तो ।
रूसवा होने की बात है ना कुछ, सुनके बातें लोगों की जाता है मचल दिल ।
लोगों की बातों का एतबार ना कर, भेद करायें ये नग राम और सीता में ।
बातों की दीवार ना कर खडी, बाँटे है इसने इंसानों को ।
शब्दों की तो है सीमा, मौन की तो ना सीमा ।
मेरा प्रीत मौन है, इसको तुझे है पहचानना ।


- डॉ.संतोष सिंह