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Hymn No. 49 | Date: 30-Oct-1996
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प्रेम की प्यास ऐसी लगायी तूने,
प्रेम की प्यास ऐसी लगायी तूने,
जितनी बुझाऊँ ना बुझे बढ़ती ही जाये ।
प्रेम की ताकत देखा मैंने इतना,
अपने –पराये, दुश्मन भी दोस्त नजर आयें ।
प्रेम ने फैलाया हर तरफ उजियारा,
हर तरफ हर रूप में तू नजर आये ।
मंदिर – मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरजाधर की,
प्रेम ने लाँघी हर धर्म की सीमा ।
बाँध सका ना तुझे कोई दीवारों में,
प्रेम ने तुझको बाँध दिखाया दिल में ।
हर रिश्ते – नाते अधूरे इसके बिना,
प्रेम से बडा कोई रिश्ता न नाता ।
कण – कण में मैंने तुझको खोजा,
प्रेम के बीच मैंने तुझको पाया ।
जात और धर्म की सीमाओं को तोड़ा,
प्रेम ने हर दिल को दिल से जोड़ा ।


- डॉ.संतोष सिंह